344 वर्ष पुराना रामबाग शिव मंदिर बना आस्था का केन्द्र -शिवलिंग दिन में तीन बार बदलता है रंग
आस्था
विनोद वार्ता संवाद-सूत्र
दिनेशपुर। देवभूमि में पुरातात्विक व धार्मिक महत्व की भरमार है। यह चंद वंशीय राजाओं की देवी भक्ति, बुक्साओं की बसासत व ब्रितानी एस्टेट का भीगवाह रहा है। यहां लगभग 344 वर्ष पहले मिले इस शिवलिंग में बदलाव देखने को मिले जिससे लोगों की आस्था और श्रद्धा लगातार बढ़ती ही गई। पुरातत्व विभाग की टीम ने रामबाग मंदिर के निकट 1988 में खुदाई की तो तमाम छोटी-बड़ी मूर्तियां मिली। पुरातत्वविदों के अनुसार पत्थरों को तलाश कर तैयार की गई ये कला कृतियां 13वीं सदी से पूर्व की है। तब कुमाऊं-गढ़वाल में मूर्ति व स्थापत्य कला उत्कर्ष पर थी। देवी-देवताओं व देवगणों की इन मूर्तियां से स्पष्ट होता है कि यह क्षेत्र आस्था के लिहाज से खासा उभर रहा होगा। इस बात को 344 वर्ष पूर्व घुमन्तु बुक्साओं को मिला शिवलिंग भी बल देता है आस्था के पुजारी बुक्साओं ने वर्ष 1953 में इस पवित्र स्थान पर स्थापित किया। किवदंती है कि मंदिर के पुजारी चंदू सिंह लखचैरसिया के दादा कल्याण सिंह की संतान नहीं थी। वह उस दौर की बात है जब तराई भी बसी नहीं थी। बुक्सा कल्याण सिंह शिव भक्त थे। उन्हें सपने में बाबा भोलेनाथ ने दर्शन दिये। यदि वह शिवलिंग के दर्शन करें तो मनोकामना पूरी होगी। दंतकथा के अनुसार बुक्सा कल्याण सिंह को शिवलिंग के आशीर्वाद से दो पुत्र भागमल सिंह व कैदार सिंह प्राप्त हुए। भागमल सिंह ने शिव मंदिर की स्थापना कर 20 वर्षों तक सेवा की। वर्ष 1993 से इस परम्परा को उनके पुत्र चंदू सिंह, लखचैरसिया व उनकी पत्नी पुजारन मंतो देवी निभा रही है। बुक्सा समुदाय ने शिव मंदिर सुधार समिति का गठन किया था। वर्ष 2005 में आदिवासी शिवमंदिर समिति का गठन हुआ। शिव भक्तों का विश्वास है कि प्राचीन शिव मंदिर के दर्शन से सभी की मनोकामना पूर्ण होती है। शिवरात्रि पर्व पर कावड़िये हरिद्वार से पवित्र गंगाजल लाकर शिवलिंग पर जलाभिषेक करते है। फिर शंखनाथ के साथ मेला शुरु होता है जो पांच लगातार दिन चलता है।
शिवलिंग दिन में तीन बार बदलता है रंग
दिनेशपुर। प्राचीन शिव मंदिर रामबाग में स्थापित शिवलिंग चमत्कारिक माना जाता है। यह शिवलिंग सुबह, दोपहर व शाम को रंग बदलता रहता है। जिसे देखकर शिव भक्त अचंभित है। वर्ष दर वर्ष शिवलिंग के आकार में वृद्धि होना भी चर्चा में है। किवदंती है कि एक साधू ने शिवलिंग के थाह जानने को गहराई तक खुदाई की लेकिन वह पार नहीं पा सका और हारकर चला गया।
सीधे समाचार एवं विज्ञापन भेजने के लिए सम्पकें करें-
मान्यता प्राप्त सम्पादक- विनोद कुमार
मो. 971911322- 9410588220