कुमाऊं में 387 सरकारी स्कूल बंद, 1202 बंदी के कगार पर
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उत्तराखंड राज्य गठन के बाद से ही सरकारी स्कूलों की स्थिति बदहाल है। वक्त के साथ सरकारी स्कूलों की दसा सुधरने की बजाए और बदतर होती गई। सैकड़ों स्कूल बंद हो गए तो सैकड़ों बंदी की कगार पर हैं।
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नैनीताल (संवाद-सूत्र) राज्य गठन के बाद से अब तक सरकारी शिक्षा सतही वतौर पर सरकारों की प्राथमिकता में रही, लेकिन छात्र संख्या शून्य होने से सरकारी स्कूलों के बंद होने का सिलसिला चलता रहा, जो अब भी जारी है। कुमाऊं में अब तक 387 प्राथमिक स्कूल शून्य छात्र संख्या की वजह की वजह से बंद हो चुके हैं, जबकि 1202 सरकारी स्कूलों में छात्र संख्या 10 या इससे भी कम पहुंच गई है, मगर अब तक किसी भी राजनीतिक दल या नेता की जुबां से इन स्कूलों की बेहतरी के दावे या वादे नहीं हुए। अपर शिक्षा निदेशक बेसिक कार्यालय के मुताबिक, कुमाऊं मेें सरकारी प्राथमिक स्कूलों की संख्या 5089 है, जिसमें से 1456 स्कूलों में एक ही अध्यापक हैं। वहीं, शून्य छात्र संख्या की वजह से अल्मोड़ा में 184, बागेश्वर में 46, चम्पावत में 32, पिथौरागढ़ में 99, नैनीताल में 19, ऊधम सिंह नगर में सात स्कूल बंद हो चुके हैं, जबकि अल्मोड़ा में 419, बागेश्वर में 140, चम्पावत के 121, नैनीताल में 157, पिथौरागढ़ 340, ऊधम सिंह नगर में 25 प्राथमिक स्कूलों में छात्र संख्या 10 या इससे कम पहुंच गई है। शिक्षा विभाग ने बंद विद्यालयों में कार्यरत 112 शिक्षकों को अन्य स्कूलों में समायोजित किया है। आरक्षित व अल्पसंख्यक वर्ग के बच्चे अधिक, सामान्य के कम सरकारी स्कूलों से अभिभावकों खासतौर पर सामान्य वर्ग के अभिभावकों का तेजी से मोहभंग हो रहा है। शिक्षा विभाग के आंकड़े इसकी गवाही दे रहे हैं। 30 सितंबर 2021 की सूचना के अनुसार कुमाऊं के राजकीय व अशासकीय प्राथमिक विद्यालयों में एक लाख 55 हजार 018 बच्चे अध्ययनरत हैं। इसमें सामान्य वर्ग के 45,818, अनुसूचित जाति वर्ग के 52292, जनजाति के 6133, पिछड़ी जाति के 50770, अल्पसंख्यक वर्ग के 28535 तथा 1179 दिव्यांग हैं। उधर मंडल के उच्च प्राथमिक विद्यालयों में सामान्य वर्ग के 23047, अनुसूचित जाति के 25347, जनजाति के 2432, ओबीसी 19075, अल्पसंख्यक 14874 तथा 193 दिव्यांग समेत कुल 69901 बच्चे अध्ययरत हैं।