क्या अरविंद पांडेय तोड़ पाएंगे शिक्षा मंत्री के चुनाव हारने का मिथक?
प्रदीप फुटेला
गदरपुर। उत्तराखंड की सियासत में कुछ ऐसे मिथक हैं, जो अब तक टूट नहीं पाए हैं. हर विधानसभा चुनाव में सियासी दलों के नेता मिथक टूटने का दावा करते है लेकिन ये मिथक जस के तस हैं। एक सरकार के दोबारा वापसी ना कर पाने का चर्चित किस्सा तो हर चुनाव की सुर्खियों में रहता ही है, लेकिन शिक्षा मंत्री को लेकर भी कुछ ऐसा ही है। उत्तराखंड राज्य का जब से गठन हुआ है तब से जो विधायक शिक्षा मंत्री की कुर्सी पर बैठा है वह जीत नहीं पाया। सूबे में अब तक 6 शिक्षा मंत्री बने हैं लेकिन कोई भी शिक्षा मंत्री अगले चुनाव में जीतकर विधानसभा नहीं पहुंच पाया है। वहीं गंगोत्री और चम्पावत सीट की बात करें तो जो विधायक यहां से चुनकर आता है उसी की पार्टी सत्ता में रहती है. इसी तरह रानीखेत सीट से भी एक दिलचस्प किस्सा जुड़ा है. यहां से जिस पार्टी का विधायक चुना जाता है, उस दल को विपक्ष में बैठना पड़ता है. ऐसे में यह सियासी मिथक 2022 के चुनाव में टूटते हैं या नहीं, यह तो 14 मार्च की तारीख ही बताएगी। जो विधायक शिक्षा मंत्री बने, वह जीत नहीं पाये उत्तराखंड में शिक्षा मंत्री को लेकर एक ऐसी परंपरा बन गई है जो एक ऐतिहासिक रूप ले रही है। जब से उत्तराखंड राज्य का गठन हुआ तब से अब तक शिक्षा मंत्री को लेकर एक मिथक बरकरार है। परंपरा है कि उत्तराखंड में जो भी विधायक शिक्षा मंत्री बने, वह दोबारा विधानसभा नहीं पहुंच पाये, वर्ष 2000 में भाजपा की सरकार में तीरथ सिंह रावत शिक्षा मंत्री बने, लेकिन 2002 के चुनाव में वह विधानसभा नहीं पहुंच पाये. इसके बाद वर्ष 2002 में एनडी तिवारी सरकार में नरेंद्र सिंह भंडारी शिक्षा मंत्री बने, जो 2007 के विधानसभा चुनाव में हार गये। 2012 में हुए विधानसभा चुनाव से ठीक कुछ महिने पहले शिक्षा मंत्रालय बीजेपी के सिम्बल पर लगातार चुनाव जीतते आ रहे मातबर सिंह कण्डारी के पास गया और 2012 में माना जा रहा था कि इस बार इस मिथक को तोड़ने में मातबर सिंह कण्डारी कामयाब होंगे, लेकिन मिथक कामयब रहा और मातबर सिंह कण्डारी में चुनाव हार गये, कंडारी लगातार विधायक बनते हुए आ रहे थे। 2017 के विधान सभा चुनाव में पूरे पांच साल तक शिक्षा विभाग की जिम्मेदारी संभालने वाले शिक्षा मंत्री प्रसाद नैथानी शिक्षा मंत्री रहते हए चुनाव लड़े, लेकिन नाम के मंत्री मंत्री प्रसाद भी इस मिथक को नहीं तोड़ पाए और विधानसभा चुनाव हार गए। गदरपुर विधानसभा सीट से इस बार शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय चुनाव मैदान में है क्या वह इस मिथक को तोड़ पाएंगे। यह चर्चा का विषय बना हुआ है। हलांकि अरविन्द पांडेय ने अपनी कई सभाओं में भी इस बात को दावे से कहा कि इस चुनाव में वह जनता के सहयोग से इस मिथक को तोड़ कर रहेंगे।