हिंदी पखवाड़े के अंतर्गत कवि सम्मेलन .अनिरुद्ध काव्य धारा गदरपुर ऊधमसिंह नगर के तत्वावधान में हिन्दी भारत मां के माथे की बिंदी है पर कवियों ने अपने काव्य रुपी रंग बिखेरे
विनोद वार्ता संवाद.सूत्र
गदरपुर। अनिरुद्ध काव्या धरा शेरकोट बिजनौर की शाखा गदरपुर उत्तराखंड ने एक कवि सम्मेलन का आयोजन सरस्वती शिशु मंदिर में आयोजित किया गया। जिसमें बाहर से पधारे कई कवियों ने प्रतिभाग किया। कार्यक्रम का शुभारम्भ रामपुर से आये एवं कार्यक्रम के अध्यक्ष जितेंद्र आनंद कमल जीए एवं संस्था के अध्यक्ष सुबोध कुमार शर्मा शेरकोठी ने किया। इसके पश्चात सुबोध कुमार शर्मा शेरकोटी ने मां सरस्वती वंदना की प्रस्तुत करके काव्य कवि सम्मेलन को गति प्रदान की। इसके पश्चात एटा से पधारे महेश मंजुल ने कहा. आओ इंसान को इंसान बनाए कैसे शक इंसान को दरिंदा की। रामपुर से आये रामकिशोर वर्मा ने कहा हिंदी बने राष्ट्र की भाषा हम सब की अभिलाषा है टाल मटोल बहुत हो चुकी अब निर्णय की आशा है। इसी के क्रम में ओकांर सिंह विवेक ने कहाण् दुनिया में भारत के गौरव मां और सम्मान की आओ बात करें हम अपने हिंदी के इस गान की और। इसी संदर्भ में मंसूरी ने कहा में हिंदी नक्श हिंदी नाक और कान भी हिंदी हल्की हिंदी में जुबान हिंदी। फरीद अली एटा ने कहा जान लुटा कर चमकेंगे हम अपने हिंदुस्तान की कभी व्यस्त नहीं जान लेंगे भी रोक बलिदान की। डाॅ संजीव सारस्वत तंपन ने कहा एक नदी यूं चुपके उतरी फिर सागर में समा गईएनींद से जा अपने संग आकर तेरी यादे बहा गई। कुमार विवेक मानस जसपुर ने कहा एबात करें हम हिन्दी की और अंग्रेजी से हाथ मिलाय।े इसी प्रकार प्रतोष मिश्रा काशीपुर से आऐ पे कहा प्रेम से सराबोर गुजरे हैं कई बसंत फिर भी दिल में प्रेम की भावना अधूरी है। सुबोध कुमार शर्मा शेरकोटी गदरपुर ने कहा.ये कैसी शर्मिन्दी है ए हिन्दी भारत मां के माथे की बिंदी है। कृष्ण मुरारी लाल मानव ने कहा.शेर के दांत गिनते थे हम उन वीरों के वंशज हैएं कभी झुकना नहीं सीखा राम और कृष्ण के वंशज हैं।ण् जितेंद्र जी ने कहा.प्यार की हमने बस्तियां देखी इसके घर में भी हमने खिड़कियां देखी। इसी क्रम में आगे चलते हुएण् नजीबाबाद से आई कवित्री नीमा शर्मा ने कहा.देखते हैं जो अंगारे वही अंजाम देते हैंए बात जब राष्ट्र की आए समर बलिदान देते हैं। शेरकोट बिजनौर से आयी शुचि शर्मा ने कहा. हे बृह्मा विष्णु उमा पति हे कार्तिकेय ओंकार नमन। इस प्रकार पुष्पा प्राकाम्य शक्ति फार्म से आयी ने कहा. हिंदी मुझे मां से मिली है प्यार में मेरा हिंदी हृदय की भाषा प्राधिकार है मेरा। और इसी तरह से सोमपाल सिंह सोम काशीपुर से आए उनका हिंदी भाषा तो भारत में सूरज और गवार हुए अंग्रेजी झाड़ी तो सब सुनने को तैयार हुए उन्होंने कहा.कुमार विवेक मानस जयपुर से आये ने अपने पंक्ति में कहा. बात करें हिंदी की और अंग्रेजी से हवा मिले और हिंदी दिवस मनाएं आओ हिंदी दिवस सुनाएं। राजवीर सिंह राज रामपुर से आए हैं उन्होंने अपनी पंक्तियों के साथ कहा.रख हृदय में प्रयोजन रस का सुंदर शब्द संयोजन हिंदी भाषा ही सब ॅबोले अंतर्गत तक मधुर रस घोले। धामपुर से आयी चंद्र कला भागीरथी जी ने कहा कागज की कश्ती बनाया नहीं करते झूठे सपने सजाए नहीं करत।े विवेक बादल बाजपुर ने कहा ा मेरे भावों की भाषा है मेरा अभिमान है इससे मुझे हिंदी ही प्यारी है मैं तो हिंदी ही बोलूंगा। और पंत नगर से आये के पी सिंह विकल नेे कहा हमको अपनी जान से प्यारी है हिंदी सबसे न्यारी है हिंदी और इसी प्रकार से रामपुर से आये सुरेन्द्र अश्क ने कहा अच्छा हुआ पानी का कोई रंग नहीं है होता। खटीमा से आये डॉ जगदीश कुमुद ने कहा लौट कर दरिया से प्यासे आ गयेए है सियत अपनी बता कर आ गये । रामपुर से आये राजवीर सिंह राज ने कहा ए रख हृदय में पवित्र प्रयोजन रखकर सुन्दर शब्द संयोजनए हिन्दी भाषा ही सब बोलें अन्तर्मन तक मधुर रस घोले। लीलू रानी रुद्रपुरए कुलवीर चैधरी ने कहा हिंदी मेरी भाषा है इस पर मुझको नाज है। बलदेव अरोर आदिा ने काव्य पाठ किया। इस पर ण्शिशु मंदिर के प्रबंधक चै विनोद सिंह फौगाटए मोहनलाल अरोराए विरेन्द्र सिंह यादव अशोक कुमार चैहान ए रामप्रसाद ध्यानीए नंदकिशोरए महेश सिंह आदि उपस्थित रहे कार्यक्रम के अन्त मे संस्थाध्यक्ष सुबोध कुमार शर्मा शेरकोटी ने सभी का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ संजीव सारस्वत तंपन द्वारा संयुक्त रुप से किया जिसको खूब सराहा गया।