प्रॉपर्टी डीलर से हुई लूट में आइजी की कार का इस्तेमाल करने वाले पुलिसकर्मियों पर लटकी तलवार
देहरादून (संवाद-सूत्र)। लोकसभा चुनाव के दौरान पुलिस महानिरीक्षक गढ़वाल (आइजी) की सरकारी गाड़ी से प्रॉपर्टी डीलर को लूटने के मामले में आरोपित तीन पुलिसकर्मियों की विभागीय जांच पूरी हो गई है। जांच अधिकारी एसपी ग्रामीण ने रिपोर्ट डीआइजी को सौंप दी है। जांच रिपोर्ट में क्या कुछ निकल कर आया है, इसका पता नहीं चल सका है। जिस तरह से जांच रिपोर्ट को लेकर गोपनीयता बरती जा रही है, उससे यह माना जा रहा है कि आरोपित पुलिसकर्मियों पर बर्खास्तगी की तलवार लटक रही है।
घटना चार अप्रैल, 2019 की है। उस समय लोकसभा चुनाव के चलते राज्य में आदर्श आचार संहिता लागू थी। इस दौरान राजपुर रोड पर चेकिंग के बहाने कैनाल रोड क्षेत्र के रहने वाले प्रापर्टी डीलर अनुरोध पंवार से पुलिस कर्मियों ने नोटों से भरा बैग लूट लिया था। अगले दिन अनुरोध ने इसकी शिकायत पुलिस से की। पुलिस ने यह मानकर जांच शुरू की कि पुलिस की वर्दी पहन कर किसी गैंग ने वारदात को अंजाम दिया है, लेकिन जब तहकीकात की गई तो हैरान करने वाली हकीकत सामने आई। पता चला कि इस वारदात को एक दारोगा व दो सिपाहियों ने अंजाम दिया है और वारदात में जिस गाड़ी का प्रयोग किया गया, वह तत्कालीन आइजी गढ़वाल अजय रौतेला को आवंटित है। करीब पांच दिनों की जांच के बाद जब इस बात की पुष्टि हो गई तो नौ अप्रैल 2019 को अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया। बाद में विवेचना एसटीएफ को स्थानांतरित कर दी गई। विवेचना में आरोपित पुलिसकर्मियों के नाम का खुलासा किया गया, जिसमें दून में तैनात दारोगा दिनेश सिंह नेगी व दो अन्य सिपाही मनोज व हिमांशु उपाध्याय के नाम सामने आए।
तीनों को निलंबित कर एसपी ग्रामीण प्रमेंद्र डोबाल को जांच सौंपी गई। करीब एक साल चली जांच के बाद अब उन्होंने रिपोर्ट डीआइजी अरुण मोहन जोशी को सौंप दी है। देखना होगा कि जांच रिपोर्ट में पुलिसकर्मियों पर लगाए गए किन आरोपों की पुष्टि हुई है। एक बात तो जगजाहिर है कि तीनों ने सरकारी पद का दुरुपयोग किया है। साथ ही अन्य आरोपों की पुष्टि होती है तो तीनों की बर्खास्तगी की फाइल आगे बढ़ सकती है।