इंटरनेट मीडिया फेक न्यूज चलाने और दुष्प्रचार करने वालों
संक्षिप्त
विधानसभा चुनाव 2022ः चुनाव में पुलिस ने इंटरनेट मीडिया पर निगरानी बढ़ा दी है।देश के पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव की अधिसूचना चारी हो गई है। उत्तराखंड में नामांकन की प्रकिया भी शुरू हो गई है। ऐसे में गड़बिड़यों पर चुनाव आयोग निगरानी भी रख रहा है। साइबर सेल ने भी सोशल मीडिया पर निगरानी बढ़ा दी है।
विस्तृत
हल्द्वानी (संवाद-सूत्र) इंटरनेट मीडिया इस बार नेताओं के चुनाव प्रचार का सबसे बड़ा प्लेटफार्म है। कोरोना संक्रमण के मद्देनजर बैठक व जनसभाओं पर रोक है। लिहाजा नेता व समर्थक इंटरनेट मीडिया पर पोस्ट अपलोड कर प्रचार शुरू कर दिया है। ऐसे में पुलिस ने भी इंटरनेट मीडिया पर निगरानी बढ़ा दी है। 14 फरवरी को उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव है। 21 जनवरी को अधिसूचना जारी होने के बाद प्रत्याशियों ने नामांकन पत्र खरीदना शुरू कर दिया है। हालांकि कांग्रेस ने अभी अपने प्रत्याशियों के पत्ते नहीं खोले हैं। शीघ्र ही कांग्रेस अपने प्रत्याशियों के नाम की घोषणा कर सकती है। चुनाव में दुष्प्रचार को रोकने के लिए पुलिस ने सोशल मीडिया सेल का सतर्क कर दिया है। 24 घंटे नेताओं व उनके समर्थकों की व्हाट्सएप, फेसबुक, ट्वीटर व इंस्टाग्राम की निगरानी की जा रही है। एसएसपी पंकज भट्ट का कहना है कि इंटरनेट मीडिया में एक गलत पोस्ट माहौल खराब कर सकती है। इसलिए गलत सूचना को प्रचारित व प्रसारित करने वालों पर नजर रखी जा रही है। उन्होंने दो टूक कहा है कि किसी भी तरह की भ्रामक पोस्ट न तो लाइक करें और न शेयर। नियमों का पालन नहीं करने वालों के खिलाफ आइटी एक्ट में केस दर्ज किया जाएगा। नेता व समर्थक किसी को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। एसएसपी ने जनता से चुनाव में सहयोग की अपील की है। आईटी एक्ट की धारा 66-ए में सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक, उत्तेजक, भावनाएं भड़काने वाली सामग्री डालने पर गिरफ्तारी का प्रावधान था। शीर्ष अदालत ने इसे बोलने और अभिव्यक्ति की आजादी के मौलिक अधिकार(संविधान के अनुच्छेद 19.1.ए) खिलाफ पाकर निरस्त कर दिया था। सोशल मीडिया पर अपमानजनक तथ्य प्रसारित, प्रकाशित करने पर आईपीसी की धारा 499, 500 और 501 (आपराधिक मानहानि) का सहारा लिया जा सकता है। यदि कोई आपके विरुद्ध सोशल मीडिया या इंटरनेट पर झूठी टिप्पणी कर रहा या आपके खिलाफ झूठ फैला रहा है, या आपके सम्मान को जानूझकर धूमिल कर रहा है तो उसके खिलाफ मजिस्ट्रेट के यहां मानहानि का दावा किया जा सकता है। इसमें कम से कम दो वर्ष की सजा का प्रावधान है।